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देश में चलेंगी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर आधारित ट्रेन
  • 151018477 - DEEPAK KUMAR SHARMA 0



खड़गपुर रेल मंडल,दक्षिण पूर्व रेलवे-भारत जैसे देश के लिए यह खुशखबरी की बात है कि देश में हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित ट्रेनें चलेंगी।उत्तर रेलवे ने हरियाणा के सोनीपत से जिंद के बीच 89 किलोमीटर लंबे सेक्शन के बीच देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है।
रेलवे की योजना है कि एडवांस कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) और नेशनल हाइड्रोजन मिशन जैसे दो फ्लैगशिप कार्यक्रमों की मदद से इस लक्ष्य को हासिल करना है।शुरुआत में 2 डेमू रैक को हाइड्रो इंजन में बदला जाएगा। बाद में 2 हाइब्रिड नैरो गेज इंजन को हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर मूवमेंट आधारित सिस्टम में बदलने की योजना है। भारत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ऐसी बैटरी 10 डिब्बों वाली डेमू ट्रेन में लगाई जाएगी। इस तरह की बैटरी 1600 हार्स पॉवर की क्षमता के साथ ट्रेन को खींचेगी।
भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित ट्रेन के लिए रेलवे ने निविदाएं आमंत्रित की हैं।
भारतीय रेल ने स्वयं को हरित परिवहन प्रणाली के रूप में बदलने के क्रम में उत्तर रेलवे के 89 किमी. लम्बे सोनीपत-जिंद सेक्शन पर देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है।
भारतीय रेल वैकल्पिक ईंधन संगठन (आईआरओएएफ), भारतीय रेल के हरित ईंधन प्रभाग ने उत्तर रेलवे के सोनीपत-जिंद सेक्शन पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित ट्रेन चलाने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इस प्रयोजन के लिए निविदा-पूर्व दो बैठकें क्रमशः दिनांक 17.08.2021 एवं 09.09.2021 को निर्धारित की गई हैं। प्रस्ताव देने की तिथि 21.09.2021 तथा टेंडर खुलने की तिथि 05.10.2021 निर्धारित की गई है।
पेरिस वातावरण समझौता 2015 के अंतर्गत ग्रीन हाउस गैसेज को कम करने के लक्ष्य की प्राप्ति की चुनौती को स्वीकार करते हुए तथा रेलवे द्वारा जीरो कार्बन उत्सर्जन मिशन के अंतर्गत 2030 तक लक्ष्य प्राप्ति हेतु रेलवे ने सोनीपत-जिंद सेक्शन पर 2 डी.एम.यू. रैक को फ्यूल सेल पावर्ड हाइब्रिड ट्रैक्शन सिस्टम से ट्रेन चलाने का निश्चय किया है। जिसमें हाइड्रोजन फ्यूल आधारित ट्रेन का संचालन किया जाएगा तथा इसके लिए आवश्यक बजटीय सहायता उपलब्ध कराई गई है।
इस तरह के एक इंजन से रेलवे को सालाना करीब ढाई करोड़ रुपये की बचत भी होगी। साथ ही कार्बन उत्सर्जन भी नहीं होने से प्रदूषण की समस्या नहीं होगी। डीजल से चलने वाली डेमू को हाइड्रोजन सेल तकनीक में बदलने से हर साल 11.12 किलो टन कार्बन फुटप्रिंट का उत्सर्जन नहीं होगा तो .72 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर का भी उत्सर्जन रुकेगा।
वक्त के साथ भारतीय रेलवे भी तेजी से अपने सिस्टम में बदलाव लाने में जुटी है. गुजरात में रेलवे स्टेश पर पहला होटल बनवाने के बाद अब रेलवे देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल आधारित ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है।
सारी दुनिया दिनों दिन बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर परेशान है. कई देशों ने तो कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. यही एक बड़ा कारण है कि दुनियाभर के देश ऊर्जा के नए स्त्रों को अपना रहे हैं. अब भारत भी जल्द ही उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा जहां ग्रीन एनर्जी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. दरअसल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क ‘भारतीय रेलवे’ अब ग्रीन फ्यूल पर जोर दे रहा रहा है। भारतीय रेल को अब हाइड्रोजन ईंधन से चलाने की तैयारी हो गई है।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस संबंध में घोषणा की है। सरकार के इस कदम को जहां एक और ऐतिहासिक माना जा रहा है वहीं दूसरी ओर इस ईंधन से कार्बन उत्सर्जन ना के बराबर होगा।रेल मंत्रालय ने इस बात की जानकारी ट्वीट कर दी है।
खड़गपुर से पश्चिम बंगाल स्टेट इंचार्ज दीपक शर्मा की रिपोर्ट।


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