ओलंपियन सतीश कुमार यादव शुक्रवार को नोएडा के गढ़ी चौखंड़ी स्थित भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र यादव के आवास पहुंचे। सेना के जवान और हैवीवेट मुक्केबाज सतीश कुमार (32) ने टोक्यो ओलंपिक में इस साल क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। सतीश उज्बेकिस्तान के बखोदिर जलोलोव से हारकर पदक की रेस से बाहर हो गए, लेकिन उनकी हिम्मत और जज्बे का लोहा प्रतिद्वंद्वी भी मान गए। जब उन्होंने जख्मी होने और ठुड्डी और भौं (आइब्रो) पर 13 टांके लगने के बावजूद खेल में हिस्सा लिया।
आपका मुक्केबाजी का सफर कब और कैसे शुरू हुआ?
मैं बुलंदशहर के पचौता गांव का रहने वाला हूं। ग्रामीण परिवेश की वजह से बचपन में ओलंपिक या मुक्केबाजी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मेरे भाई और गांव के अन्य लड़के सेना में थे। मैं भी सेना में देशभक्ति दिखाने के मकसद से शामिल हुआ। जहां मुझे खेलों की जानकारी और ट्रेनिंग मिली। सेना ने मुझे एक सैैनिक संग ओलंपियन भी बनाया।