पीवी सिंधू के दो साल पहले स्विटजरलैंड में विश्व चैंपियन बनने की सबसे बड़ी वजह उस दौरान उनकी कोरियाई कोच किम जी ह्यून को माना गया। किम के समय में सिंधू अपने शिखर पर थीं। अचानक किम ने सिंधू का साथ छोड़ दिया। सिंधू एक बार दोराहे पर खड़ी हो गईं। यहां उन्हें एक और कोरियाई कोच पार्क ताई संग का साथ मिला
पार्क गोपीचंद अकादमी में भारतीय टीम के कोच थे, लेकिन सिंधू की गुहार पर पार्क को अकेले उनके साथ जोड़ दिया गया। थोड़े ही समय में पार्क ने सिंधू को किम की कमी का न सिर्फ अहसास खत्म करा दिया बल्कि ओलंपिक का एक और पदक उनकी झोली में डलवा दिया।
सिंधू को टोक्यो में नए अवतार में उतारा
यह पार्क ही हैं जिन्होंने सिंधू के टोक्यो में नए अवतार के लिए एक नहीं कई रणनीतियों पर काम किया। टोक्यो जाने से पहले पार्क की चिंता का सबसे बड़ा विषय उनका दुनिया की टॉप शटलर ताई जू यिंग, चेन यू फेई, कैरोलिना मारिन, हे बिंग जियाओ, नाजोमी ओकुहारा के खिलाफ सिंधू की हार-जीत का खराब रिकार्ड था।
इसी को ध्यान में रखते हुए पार्क ने सिंधू को टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के लिए इन दिग्गजों के खिलाफ सिंधू की कमियों और उनके मजबूत पक्षों पर जमकर काम कराया। सिंधू के इन शटलरों के खिलाफ मैचों के वीडियो देखकर पार्क ने टोक्यो के लिए रणनीति बुनीं।
सिंधू नेट पर कमी दूर की ताकत और बनाया मजबूत
सिंधू की लंबाई होने की वजह से उनकी नेट पर कमजोरी को सभी जानते हैं, लेकिन पार्क ने उनकी इस कमजोरी पर खूब काम किया। अकाने यामागुची हों या फिर हे बिंग जियाओ, दोनों टोक्यो में सिंधू के खिलाफ उनकी नेट पर कमजोरी का फायदा नहीं उठा पाईं बल्कि नेट पर दिखाए गए खेल की बदौलत ही उन्हें जीत हासिल करने में मदद मिली।