फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया जिला संवाददाता बरेली जियाउल अज़ीम 151150592
बरेली। सिविल लाइंस में कपिश ज्वैलर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक रस्तोगी और डायरेक्टर निशांत अग्रवाल के खिलाफ कोतवाली धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की गई है। डीजीपी के निर्देश पर यह रिपोर्ट बहेड़ी में यथार्थ ट्रेडिंग कंपनी एलएलपी के गजेंद्र सिंह की ओर से लिखाई गई है।
शिकायतकर्ताओं में गजेंद्र सिंह के अलावा तिरुपति ज्वैलर्स फर्रुखाबाद के सिद्धार्थ अग्रवाल, इटावा में लॉरिस एंड सचिन एलएलपी के सचिन वर्मा, बांदा के सचिन वर्मा व पियूष वर्मा और पूरनपुर में लॉरिस एंड गुनिका के गौरव कुमार खुराना भी शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि वर्ष 2018-19 में निशांत अग्रवाल ने उन लोगों से संपर्क किया और सराफा कारोबार में साथ काम करने की पेशकश की। अपना अनुभव बताकर कहा कि सारा कारोबार कपिश ज्वैलर्स के नाम पर करेंगे। ज्यादा लाभ हुआ तो ठीक है वरना कंपनी से 18 प्रतिशत के न्यूनतम लाभ की गारंटी तो मिलेगी। उन लोगों के हामी भरने के बाद फ्रेंचाइची बना ली गई। इसके बाद निशांत ने उन्हें विवेक रस्तोगी से मिलवाया जिन्होंने कारोबार के लिए ढाई करोड़ के सोने की आवश्यकता बताई। उन लोगों ने सवा करोड़ का भुगतान कर दिया लेकिन आरोपियों ने अपने हिस्से का भुगतान करने के बजाय सवा करोड़ रुपये कपिश ज्वैलर्स से कंपनी को क्रेडिट करा दिए।
आरोप है कि इसके बाद उन्हें ढाई करोड़ के जेवरात एमआरपी पर उपलब्ध कराए गए जबकि बाजार भाव पर देने की बात हुई थी। विरोध करने पर टालमटोल कर दी गई। जब सभी फ्रेंचाइजी ने मिलकर उन लोगों पर दबाव बनाया तो न्यूनतम गारंटी का हिसाब किया लेकिन जीएसटी और टीडीएस काटने के बावजूद अब तक उसे जमा नहीं किया।
स्कीम की धनराशि में भी हेराफेरी
सराफा कारोबारियों का आरोप है कि एक स्कीम चलाई गई जिसमें 11 किस्त जमा करने पर 12वीं किस्त कंपनी की ओर जमा करके आभूषण देने की बात कही गई थी। इस स्कीम की रकम भी उन लोगों ने आरोपियों के पास जमा कराई लेकिन न जेवरात दिए गए और न रुपये लौटाए। इसके कारण ग्राहक उन लोगों से अभद्रता कर रहे हैं और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।
15 हजार रुपये कैरेट के डायमंड 70-80 हजार रुपये में बिकवाए
कारोबारियों का यह भी आरोप है कि 15 हजार रुपये प्रति कैरेट की कीमत वाले डायमंड उन लोगों से 70-80 हजार रुपये कैरेट बिकवाए गए। लोग डायमंड वापस करने को कहते हैं तो टालमटोल की जाती है। इससे उन्हें आर्थिक क्षति हो रही है। शोरूम का आधा खर्च भी उन लोगों को नहीं दिया गया। साथ ही उन लोगों की फ्रेंचाइजी के फर्जी दस्तावेज भी बनवा लिए गए और शिकायत करने पर ऊंची पहुंच का हवाला देकर धमकाया गया।