EPaper SignIn

उत्तराखंड में स्कूल खोलने का फरमान: 10 लाख बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिकांश अभिभावक असहज!
  • 151045804 - SHAHANOOR ALI 0



 उत्तराखंड सरकार दो अगस्त से स्कूलों को खोलने जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और कोविड कर्फ्यू के बीच प्रदेश सरकार के इस फैसले को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अधिकांश अभिभावक सरकार के इस फैसले को लेकर असहज हैं और उनकी चिंता अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर है। इस लिहाज से प्रदेश सरकार के सामने 10 लाख से अधिक बच्चों को ‘सुरक्षा कवच’ दिए जाने की कड़ी चुनौती होगी।  राज्य में बेशक कोरोना संक्रमण के मामले काफी कम हो गए हैं, लेकिन मामले आने पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं। ऐसे में अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि करीब नौ हजार स्कूलों को खोलने का निर्णय लेने वाली सरकार क्या 10 लाख बच्चों को ‘सुरक्षा कवच’ देगी। उनका कहना है कि जब तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक मानी जा रही है तो टीकाकरण से पहले क्या स्कूल बुलाकर बच्चों के जीवन को खतरे में डालना सही होगा। प्रदेश में दो अगस्त से कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुलने जा रहे हैं, लेकिन कोविड की तीसरी लहर की आशंका अभी बनी हुई है। जिसे देखते हुए एक तरफ सरकार अस्पतालों में इस स्थिति से निपटने की तैयारी में जुटी है। वहीं दूसरी ओर आनन-फानन स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है। जबकि स्कूलों में अब तक बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं। स्थिति यह है कि बच्चों के लिए सैनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था तो दूर स्कूलों में पेयजल और शौचालय तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।  विभागीय सूत्रों के मुताबिक स्कूलों को खोलने के पीछे सरकार पर यूनिफार्म, बुक्स, स्टेशनरी लॉबी के साथ ही शिक्षा माफिया का भी दबाव रहा है। उधर राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी के मुताबिक कई स्कूलों में पेयजल और शौचालय की व्यवस्था ठीक नहीं है। स्कूल खुलने से पहले सभी स्कूलों में पर्याप्त फर्नीचर, शौचालय, पेयजल आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए। बच्चों की सुरक्षा के लिए कोविड को लेकर जारी दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाया जाना भी जरूरी है।    1540 स्कूलों में नहीं है पेयजल की व्यवस्था  प्रदेश के कक्षा एक से 12 तक के 1540 स्कूलों में से 994 स्कूलों में पेयजल कनेक्शन नहीं हैं, जबकि 546 में पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हैं या कनेक्शन कटे हुए हैं। स्कूलों में पानी न होने की वजह से करीब दो हजार से अधिक स्कूलों में शौचालय चालू स्थिति में नहीं हैं।  अभिभावक बोले- सरकार ने जल्दबाजी में लिया फैसला   प्रदेश में दो अगस्त से कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है, लेकिन अधिकतर अभिभावक अभी इस पक्ष में नहीं हैं कि बच्चों को स्कूल भेजा जाए। नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स स्टूडेंट्स राइट के अध्यक्ष आरिफ खान के मुताबिक अभी कोविड की तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार की ओर से कांवड़ यात्रा को स्थगित किया गया है। उच्च शिक्षण संस्थान भी अभी खुले नहीं हैं। ऐसे में बच्चों के लिए स्कूल खोलने का निर्णय सरकार का जल्दबाजी में लिया गया फैसला है।  कोविड की वजह से स्थगित की गईं थी बोर्ड परीक्षाएं  प्रदेश में कोविड की वजह से मार्च 2020 में स्कूलों को बंद किया गया था। इसके बाद बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए नवंबर वर्ष 2020 में 10वीं एवं 12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुले, लेकिन कोविड के मामले बढ़ने की वजह से अप्रैल 2021 से स्कूलों को फिर से बंद कर दिया गया। यहां तक की 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं। हालांकि, इस बीच कुछ स्कूलों की ओर से छठी से 8वीं कक्षा के बच्चों को मिड-डे मील एवं स्कूल ड्रेस सहित विभिन्न कारणों से स्कूलों में बुलाया गया था, लेकिन नियमित रूप से कक्षाएं नहीं चलीं।


Subscriber

173733

No. of Visitors

FastMail

नई दिल्ली - केजरीवाल टिप्पणी मामले में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनयिक को किया तलब     नई दिल्ली - जेल से नहीं चलेगी दिल्ली सरकार, एलजी वीके सक्सेना ने कह दी बड़ी बात