जिस उम्र में बंधना था सिर पर सेहरा, उस उम्र में पी लिया शहादत का जाम
हमीरपुर के बेटे को सभी ने दी नम आंखों से विदाई
शादी की रस्मों के साथ मां ने किया अपना बेटा विदा
हिमाचल प्रदेश जिला हमीरपुर के अंतर्गत आने बाले
न मुझे दौलत बेशुमार चाहिए, न औरों की तरह प्यार चाहिए। मेरे ताबूत को अपनी कोख में ही समा लेना 'धरती मां', मुझे बस यही उपकार चाहिए।' इसी के साथ रविवार को हमीरपुर में पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ शहीद कमल देव का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के चचेरे भाई बॉबी ने पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। परिजनों की ओर से बड़े भाई ने हार, टोपी और कमीज पहनाकर विदाई दी। इससे पहले शहीद कमल देव की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया। हर आंख नम हो गई।
ताबूत पर शहीद के भाई ने दूल्हे के कपड़े भेंट किए। अविवाहित होने के चलते परिजनों ने शादी की रस्में निभाई । 27 वर्षीय कमल देव वर्ष 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और इसी साल अक्तूबर में उनकी शादी तय थी। गौरतलब है कि शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मनकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा के समीप बारूदी सुरंग फटने से हमीरपुर का जवान शहीद हो गया था। कमल छह साल पहले भारतीय सेना की 15 डोगरा रेजिमेंट में भर्ती हुए थे।
इसी साल अप्रैल में वह घर पर छुट्टियां काटने के बाद वापस अपनी बटालियन में गए थे। कमल की तीन माह बाद अक्तूबर में शादी होनी थी। माता-पिता बेटे के सिर पर सेहरा भी नहीं सजा सके।
id 151121586 सदर हमीरपुर से अनूप कुमार की रिपोर्ट