बिहार के गोपालगंज जिले के थाना विजयीपुर में कथावाचन प्रशांत जी महाराज ने बताया कि दिन रविवार दिनांक 25/07/2021 से श्रावण मास प्रारम्भ होकर दिनांक 22/08/2021 दिन रविवार को समाप्त होगा और इस प्रकार कुल 4 सोमवार पडेंगे जो अत्यंत शुभ फल कारक होंगे तों हमारे सनातन धर्म ग्रन्थ शिव पुराण में सबसे अधिक महत्व पार्थिव शिवलिंग एवं उसके पूजन को दिया गया है।
शिव पुराण के अनुसार पार्थिव शिव लिंग सभी लिंगो में सर्वश्रेष्ठ है इसके पूजन से सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ती होती हैं अनेक देवता,दैत्य,मनुष्य गंधर्व,सर्प एवं राक्षस शिव लिंग की उपासना से अनेक सिध्दिया प्राप्त कर चुके है जिस प्रकार सतयुग में रत्न का,त्रेता में स्वर्ण का व द्वापर में पारे का महत्व हैं, उसी प्रकार कलयुग में पार्थिव लिंग अति महत्वपूर्ण है शिव मूर्ति का पूजन तप से भी अधिक फल प्रदान करता हैं जिस प्रकार गंगा नदी सभी नदियों में श्रेष्ठ है एवं पवित्र मानी जाती हैं उसी प्रकार पार्थिव लिंग सभी लिंगो में सर्वश्रेष्ठ है जैसे सब व्रतों में शिवरात्रि का व्रत श्रेष्ठ है सब दैविय शक्तियो में दैवी शक्ति श्रेष्ठ है वैसे ही सब लिंगो में पार्थिव लिंग श्रेष्ठ है पार्थिव लिंग का पूजन धन,वैभव,आयु एवं लक्ष्मी देने वाला तथा सम्पूर्ण कार्यो को पूर्ण करने वाला है जो मनुष्य श्रावण मास में भगवान शिव का पार्थिव लिंग बनाकर प्रति दिन पुजा करता है वह व्यक्ति शिव पद एवं शिव लोक को प्राप्त करता है।
निष्काम भाव से पूजन करने वाले को मुक्ति मिल जाती हैं जो ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी पूजन नहीं करता वह घोर नरक को प्राप्त करता है, किस वर्ण को किस रंग की मिट्टी से पार्थिव शिव लिंग का निर्माण करना चाहिए प्रशांत जी महाराज ने बताया कि ब्राह्मण को श्वेत रंग की मिट्टी से, क्षत्रिय को लाल रंग की मिट्टी से, वैश्य को पीली रंग की मिट्टी से एवं शूद्र को काली रंग की मिट्टी से पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर पूजन करना चाहिए।
भगवान् शिव के बिल्वाष्टकं स्त्रोत में कहाँ गया है की त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् , त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्.. अर्थात-तिन दल वाला,सत्व,रज एवं तमःस्वरूप,सूर्य,चन्द्र तथा अग्नि त्रिनेत्र स्वरूप और आयुधत्रय स्वरूप तथा तिनों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है सिर्फ शिव लिंग पर एक बेलपत्र चढ़ाने मात्र से
भगवान् शिव को सबसे प्रिय क्या हैं..
हमारे धर्म ग्रन्थों में कहाँ गया है..
नमस्कारं भानुः प्रियः अलगंकारं विष्णुः प्रियः जलधारा शिवं प्रियः ब्राह्मणं मधुरं प्रियः
इस लिए हमारे धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान् शिव को जल की धारा सबसे प्रिय हैं..
आप सभी देश वासीयों ने मेरा नम्र निवेदन हैं कि आप सभी कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए अपने घर में एवं किसी पवित्र स्थान पर पिर्थिव शिव लिंग का निर्माण कर पूजन करें एवं अधिक पूजन का फल प्राप्त करें।