राजस्थान अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में आने वाले दिनों में दो बार जन्नती दरवाजा खुलेगा, किन्तु राजस्थान में 10 मई से लागू सख्त लाॅकडाउन के चलते कोई जायरीन जियारत नहीं कर सकेगा। पहली बार ईद-उल-फितर पर और दूसरी बार ख्वाजा साहब के पीरो मुर्शिद (गुरु) हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। लेकिन, दोनों ही बार आम जायरीन जन्नती दरवाजे से जियारत नहीं कर पाएंगे। कोरोना के चलते इन दिनों ,दरगाह में जायरीन के प्रवेश पर रोक है।
अंजुमन शेखजादगान के पूर्व सदस्य शेखजादा वसीम चिश्ती ने बताया कि चांद दिखाई देने पर दरगाह में जन्नती दरवाजा 13 या 14 मई को ईद-उल-फितर के मौके पर खोला जाएगा। परंपरा के अनुसार ही सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा जियारत के लिए खुल जाएगा और दोपहर की खिदमत के वक्त यानी करीब 2.30 बजे बंद कर दिया जाएगा। इस महीने में ही गरीब नवाज के गुरु यानी पीर ओ मुर्शिद हजरत उस्मान हारूनी का उर्स भी ईद की 5 व 6 तारीख को मनाया जाता है। इसे देखते हुए चांद दिखाई देने पर 18 या 19 को जन्नती दरवाजा एक दिन के लिए खोला जाएगा। इस दिन भी सुबह 4 बजे दरवाजा खोला जाएगा और कुल की रस्म के वक्त दोपहर बंद कर दिया जाएगा।
चिश्ती ने बताया कि दोनों ही दिन इस बार सख्त लॉकडाउन में आ रहे हैं। ऐसे में दरवाजा खोलने की परंपरा निभाई जाएगी। आस्ताना शरीफ की खिदमत के लिए दरगाह के खुद्दाम जियारत कर सकेंगे, लेकिन आम जायरीन जियारत के लिए नहीं आ पाएंगे।
दरगाह परिसर में प्रशासन ने 19 अप्रैल से ही जायरीन का प्रवेश बन्द कर रखा है। दरगाह के लगभग सभी गेट बंद हैं। मुख्य दरवाजा निजाम गेट खुला है, लेकिन इसके आगे स्थित शाहजहांनी गेट बंद कर रखा है। इस दरवाजे के बंद होने से जायरीन या आम आदमी दरगाह में दाखिल नहीं हो सकता है। यह गेट बंद होने से दरगाह बाजार से दरगाह के अंदर का मंजर भी दिखाई नहीं दे रहा है।
पाठकों के लिए बता दे कि दरगाह शरीफ में ख्वाजा साहब के मजार शरीफ तकं जाने के लिए जन्नती दरवाजा साल भर में चार बार ही खोला जाता है। सर्वाधिक समय तक छह दिन के लिए ख्वाजा साहब के सालाना उर्स के मौके पर ही खोला जाता है। इसके बाद एक दिन ईद उल फितर के मौके पर, एक दिन बकरा ईद के मौके पर और एक दिन ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है। परंपरा के अनुसार जन्नती दरवाजा उर्स में आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है। इसी परंपरा के अनुसार यह दरवाजा कुल की रस्म के बाद 6 रजब को बंद कर दिया जाता है।
देखे राजस्थान से जयलाल नागर की रिपोर्ट 151113047