सचिन पायलट ने बदली रणनीति, जातिगत समीकरण साध कर बनाएंगे दबाव, किसान सम्मेलन करने की योजना
- 151113047 - JAYLAL NAGAR
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राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी संग्राम का आलाकमान कोई हल नहीं निकाल पा रहा है । इसी बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अब राज्य की राजनीति में दखल रखने वाली तीन मजबूत जातियों जाट,मीणा और गुर्जर का गठजोड़ बनाने की रणनीति बनाई है । पूर्वी राजस्थान के गुर्जर और मीणा बाहुल्य इलाकों में पहले से ही पायलट की मजबूत पकड़ है । पायलट आगामी दिनों में कोटा और उदयपुर संभाग के गुर्जर,मीणा बाहुल्य इलाकों में जाने की योजना बना रहे हैं । फिलहाल इन इलाकों में उनकी पकड़ कमजोर है । इसी के साथ वे जाट बाहुल्य नागौर,जोधपुर,सीकर,झुंझुनूं,बीकानेर,सीकर जिलों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिहाज से युवाओं के संपर्क में है ।
इन जिलों से 4 जाट युवा विधायक पायलट के खेमे हैं । इन्ही विधायकों के सहारे वह जाट समाज में पहुंच बनाने में जुटे हैं । अगले माह से वह विधानसभा क्षेत्रवार किसान सम्मेलनों को संबोधित करेंगे। लोगों के बीच जाकर पायलट उनकी समस्याएं जानेंगे और फिर सरकार की घेराबंदी करेंगे । उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक दो निर्दलीय विधायक रामेश मीणा और ओमप्रकाश हुडला ने मंगलवार को बयान जारी कर पायलट पर निशानस साधा है । मीणा ने कहा कि आलाकमान ऐसे नेता को बढ़ावा देगा तो पार्टी को नुकसान होगा ।
पायलट जातिगत राजनीति करते हैं । ऐसे लोगों को स्टार प्रचारक बताया जा रहा है । हुडला ने कहा कि अभी मंत्रिमंडल विस्तार का समय नहीं है । दरअसल,पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने पायलट को स्टार प्रचारक और पार्टी की संपति बताया था।
विधायकों पर कमजोर पकड़,लेकिन गांवों में पहचान
यह बात पायलट भी जानते हैं कि विधायकों की संख्या के लिहाज से वे सीएम गहलोत के मुकाबले पीछे हैं । लेकिन एक किसान नेता के रूप में आम लोगों के बीच उनकी पहचान है । दो दर्जन जिलों में उनकी हमेशा मांग रही है । लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दो दर्जन जिलों के प्रत्याशियों ने पायलट की सबसे ज्यादा मांग की थी । इसी को ध्यान में रखते हुए पायलट ने गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनने और छोटे-छोटे किसान सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है । आगामी दिनों में पायलट लाव लश्कर के साथ दौरे शुरू करेंगे ।
देखे राजस्थान से जयलाल नागर की रिपोर्ट 151113047