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तृणमूल को भँवर में फसाने वाला नारदा कांड क्या है?
  • 151018477 - DEEPAK KUMAR SHARMA 0



नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामला ममता बनर्जी सरकार में मंत्रियों की भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए पश्चिम बंगाल में नारदा समाचार द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन की एक सीरीज थी।पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों के ठीक पहले नारदा न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था। ये वीडियो ममता बनर्जी सरकार में मंत्रियों की 'भ्रष्ट' प्रथाओं को उजागर करने वाली थी। नारदा स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर टीएमसी के 7 सांसदों, 3 मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर सोवन चटर्जी को काम कराने के लिए घूस के तौर पर एक मोटी रकम देते हुए नजर आ रहे थे स्टिंग दो साल की अवधि में आयोजित किया गया था और इसे पहले तहलका पत्रिका में प्रकाशित किया जाना था। इस स्टिंग ऑपरेशन को नारदा न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने किया था। मैथ्यू सैमुएल ने बाद में तहलका छोड़ दिया और पश्चिम बंगाल में अपना टीवी चैनल लॉन्च किया था। पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया गया था और इसमें टीएमसी मंत्रियों, विधायकों समते दर्जन भर नेताओं को एक काम कराने के लिए रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था। यह पार्टी के लिए एक बड़े झटके के रूप में उभरकर सामने आया था। जिसके वरिष्ठ मंत्री पहले से ही करोड़ों रुपये के सारदा चिट-फंड घोटाले में उलझे हुए थे। नारदा स्टिंग वीडियो की शुरुआत कैसे हुई, यह भी दिलचस्प है। स्टिंग ऑपरेशन के ठीक पहले एक फर्जी कंपनी की स्थापना की गई जिसके तहत स्टिंग ऑपरेटरों ने मूर्त रूप देने के लिए कई मंत्रियों से संपर्क साधा गया और उनसे पैसा लेकर काम करने को कहा गया । जिन मंत्रियों या नेताओं को कथित तौर पर कैमरे पर रिश्वत लेते देखा गया, उनमें फिरहाद हाकिम,मुकुल रॉय, सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, सुगत रॉय, काकोली घोष दस्तीकर, प्रसून बनर्जी, सोवन चटर्जी, मदन मित्रा, इकबाल अहमद जैसे दिग्गज शामिल थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एमएच अहमद मिर्जा को भी इस वीडियो में देखा गया था। नारदा स्टिंग ऑपरेशन के बाद भले ही तृणमूल कांग्रेस को जनता और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन हुआ इसके उलट। बाद में ममता बनर्जी ने मैथ्यू पर ही आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया। जमानत लेने के लिए मैथ्यू को कोलकाता हाईकोर्ट तक जाना पड़ा जहां से उसे राहत मिली। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका।केंद्र में भाजपा की सरकार थी और भाजपा ने पश्चिम बंगाल में पैर पसारना शुरू कर दिया था। हालांकि 2016 के 17 मार्च को ममता बनर्जी की सरकार को एक बड़ा झटका तब लगा जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच करने का आदेश पारित कर दिया । इसने सीबीआई को जरूरत पड़ने पर मामले में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया था।आज इसी नारदा कांड का भूत गाहे बगाहे धरती फाड़ कर बाहर आ जाता है।इसी कड़ी के तहत तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के एक पूर्व मेयर को CBI अपने साथ कोलकाता के निज़ाम पैलेस ले गई।लगभग 11 बजे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी CBI दफ्तर पहुँच गईं।अंतरिम जमानत के लिए ये मामला कोलकाता हाई कोर्ट तक पहुंच गया,लेकिन बुधवार तक ये मामला अटक गया था। पश्चिम बंगाल से स्टेट इंचार्ज दीपक शर्मा की रिपोर्ट 151018477

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