उत्कल दिवस पर सेरव्वो प्रमुख प्रिया प्रधान सम्मानित
- 151018477 - DEEPAK KUMAR SHARMA
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बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के खड़गपुर थाना क्षेत्र ओडिशा राज्य के गठन को यादगार और सार्थक बनाने के उदेश्य से श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में उत्कल दिवस मनाया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर खड़गपुर रेल मंडल प्रबंधक मनोरंजन प्रधान उपस्थित थे। मुख्य वक्ता श्रीमती प्रिया प्रधान के अलावा जगन्नाथ मंदिर कमेटी के सेक्रेटरी ज्योतिबास साहू, डॉ सुशील कुमार बेहेरा, डॉ जैसवाल, के अलावा वरिष्ट डी.एस.टी विजय कुमार दास के अलावा ढेरो लोग उपस्थित थे।
अपनी विशिष्ट योग्यता, समाजसेवी विचारधारा के लिए प्रिय ओडिशा 2020 का खिताब श्रीमती प्रिया प्रधान को दिया गया। ज्ञातब्य हो कि श्रीमती प्रिया प्रधान के पहले यह सम्मान मात्र तीन विशिष्ट व्यक्तियों, खड़गपुर आई.आई.टी के भूतपूर्व निर्देशक दामोदर आचार्या, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमूल्य पटनायक, खड़गपुर रेलवे वर्कशॉप के सीनियर एफ.ए.आर के पांडा को ही मिला था।
मंदिर कमेटी ने बताया कि अपने सर्वांगीण प्रतिभा के लिए सेरव्वो प्रमुख श्रीमती प्रधान को इस सम्मान से नवाजा गया।उन्होंने अपने आर्गेनाईजेशन के माध्यम से कोरोना काल में लगभग 9000 पी.पी.ई किट, मास्क, सैनीटाइजर, श्रमिक ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों को यथासम्भव सहायता करने के अलावा अपनी संस्कृति, विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सम्मानित किया गया। यह सर्वविदित है कि एक स्वतंत्र राज्य के रूप में पहचान के लिए संघर्ष के बाद ओडिशा राज्य के गठन को याद करने के लिए हर साल 1 अप्रैल को उत्कल दिवस या उत्कल दिबासा मनाया जाता है। ब्रिटिश शासन के तहत, ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, जिसमें वर्तमान के बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्य शामिल थे। राज्य को मूल रूप से उड़ीसा कहा जाता था लेकिन लोकसभा ने इसका नाम बदल कर ओड़िशा करने के लिए मार्च 2011 में उड़ीसा विधेयक और संविधान विधेयक (113 वां संशोधन) पारित किया।
प्रश्न उठता है कि ओडिशा के लोगों के लिए ओडिशा दिवस क्यों महत्वपूर्ण है।
मौर्य शासन के विस्तार के लिए 261 ईसा पूर्व में मगध राजा अशोक द्वारा विजय प्राप्त करने के बाद यह क्षेत्र कलिंग का हिस्सा बन गया। मौर्य शासन के बाद, ओडिशा में राजा खारवेल का शासन शुरू हुआ। मगध को हराकर खारवेल मौर्य आक्रमण का बदला लेने में कामयाब रहा। इतिहासकारों ने खारवेल को कला, वास्तुकला और मूर्तिकला की भूमि के रूप में ओडिशा की प्रसिद्धि के लिए नींव रखने का श्रेय दिया है। उन्होंने एक शक्तिशाली राजनीतिक राज्य स्थापित करने में भी कामयाबी हासिल की।
ओडिशा के नए प्रांत का गठन लोगों के निरंतर संघर्ष के बाद किया गया था, जो अंततः 1 अप्रैल 1936 को अस्तित्व में आया। सर जॉन हबबक राज्य के पहले गवर्नर थे, उस आंदोलन के उल्लेखनीय नेता उत्कल गौरव-परलाखेमुंडी के महाराज कृष्णचन्द्र गजपति, मधुसूदन दास, उत्कल मणि- गोपबंधु दास, फकीर मोहन सेनापति, पंडित नीलकंठ दास, और कई अन्य हैं। वास्तव में हर क्षेत्र में अग्रणी ओडिशा अपनी अस्मिता को बचाये रखने के लिए अन्य राज्यो के लिए प्रेरणा श्रोत है।
पश्चिम बंगाल से स्टेट इंचार्ज दीपक शर्मा की रिपोर्ट 151018477