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सरदार जी की 'कन्याएं'
  • 151125651 - SHASHANK KHANNA 0



क्या आपको श्री केदारनाथ धाम की कहानी पता है इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास संक्षेप में यह है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल श्रीकेदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं। पंचकेदार की कथा ऐसी मानी जाती है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए, पर वे उन्हें वहां नहीं मिले। वे लोग उन्हें खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंर्तध्यान हो कर केदार में जा बसे। दूसरी ओर पांडव भी लगन के पक्के थे वे उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए। भगवान शंकर ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले। तब भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर शंकर जी रूपी बैल पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतध्र्यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में मुख रुद्रनाथ में नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिवजी के भव्य मंदिर बने हुए हैं। लेख हेमंत चौधरी संभल यूपी 151087122 19 ऊंट की कहानी एक गाँव में एक व्यक्ति के पास 19 ऊंट थे। एक दिन उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गयी। जिसमें लिखा था कि मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को 19 ऊंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को और 19 ऊंटों में से पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ। सब लोग चक्कर में पड़ गए कि ये बँटवारा कैसे हो? 19 ऊंटों का आधा अर्थात एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा। चलो एक को काट दिया तो बचे 18 उनका एक चौथाई साढ़े चार-साढ़े चार फिर? सब बड़ी उलझन में थे। फिर पड़ोस के गांव से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया। वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोडा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊंटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो। सबने सोचा कि एक तो मरने वाला पागल था, जो ऐसी वसीयत कर के चला गया और अब ये दूसरा पागल आ गया जो बोलता है कि उनमें मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो। फिर भी सब ने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज है। 19+1=20 हुए। 20 का आधा 10, बेटे को दे दिए। 20 का चौथाई 5, बेटी को दे दिए। 20 का पांचवाँ हिस्सा 4, नौकर को दे दिए। 10+5+4=19 बच गया एक ऊँट, जो बुद्धिमान व्यक्ति का था जिसे लेकर वह अपने गॉंव लौट गया। इस तरह 1 उंट मिलाने से, बाकी 19 उंटो का बंटवारा सुख, शांति, संतोष व आनंद से हो गया। सो हम सब के जीवन में भी 19 ऊंट होते हैं। 5 ज्ञानेंद्रियाँ (आँख, नाक, जीभ, कान, त्वचा) 5 कर्मेन्द्रियाँ (हाथ, पैर, जीभ, मूत्र द्वार, मलद्वार) 5 प्राण (प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान) और 4 अंतःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) कुल 19 ऊँट होते हैं। सारा जीवन मनुष्य इन्हीं 19 ऊँटो के बँटवारे में उलझा रहता है। और जब तक उसमें मित्र रूपी ऊँट नहीं मिलाया जाता यानी के दोस्तों के साथ सगे-संबंधियों के साथ तो जीवन नहीं जिया जाता, तब तक सुख, शांति, संतोष व आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती। कहानी सुन कर दिमाक उलझ गया बटवारा सुलझ गया लेकिन सही उत्तर नहीं मिला। लेख संतोष विश्वकर्मा आर.आई भेलूपुर वाराणसी 151000540 सरदार जी की 'कन्याएं' नवरात्रि के अंतिम दिन मुहल्ले की औरतें कन्या पूजन के लिए तैयार थी, पर कोई कन्या नहीं मिली नहीं मिली सारी औरते आपस में बात करने लगी अब क्या होगा तो किसी ने बताया अपने मोहल्ले के है सरदार जी बारह बेटियों का बाप है यह सुन सारी औरते हँस पड़ी और कही हाँ हाँ बेटे के चक्कर में सरदार जी ने बारह बेटियों को जन्म दे बैठे। तब सभी महिलाये सरदार जी के घर जा पहुंची और बोली सत श्री अकाल जी, कन्या पूजन के लिए आपकी बेटियां घर लेकर जानी है, आपकी पत्नी ने कन्या बिठा ली, या बिठानी है तब सरदार जी बोले आपको कोई गलतफहमी हुई है किसकी पत्नी जी मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है सुन के सरदार जी की बात सारी औरते चकरा गई तब सरदार जी ने बोला मै उन बेटियों का बाप हूँ जिनके माँ-बाप बेटियों को बोझ समझ हैवानियत की सभी हदें पार करते हुए ममता का गला घोटते हुए मन्दिर, मस्ज़िद और कई हस्पतालों में छोड़ जाते है ऐसे माँ बाप दरिन्दे है यह जो दो छोटि बेटियां है मुझे कूड़ेदान में मिली थी इसका बाप कितना निर्दयी होगा जिसे दया ना आई नन्ही सी जान पे, हम मुर्दों को लेकर जाते हैं, वो जिन्दा ही छोड़ जाते है यह जो बड़ी प्यारी सी है, थोड़ा लंगड़ा के चल रही है, मैंने इसे तलाब के पास एक खड़ी गाड़ी देखि एक औरत उतरी बैग फेंक कर भागी जैसे उसे जल्दी पड़ी थी, शायद उसके पीछे कोई बड़ी आफ़त पड़ी थी बैग था आकर्षित, मैंने लालच में उठाया था, जब खोलकर देखा तो आंसू को रोक नहीं पाया जबरन बैग में डालने के लिए उसने पैर इसके मोड़ दिये थे शायद उसे पता नहीं चला कि उसने कब पैर इसके तोड़ दिये, सात साल हो गए इस बात को ये दिल पे लगा कर बैठी है बस गुमसुम सी रहती हैं, दर्द सीने में छुपा कर बैठी है सुन के बात सरदार जी की सामने आया सब सच सारी औरते लड़कियों को घर लेकर आ गई बारी-बारी से सब को पूजा के लिए बिठा दिया जिन हाथों ने कोमल लड़की के पैर तोड़े थे वही हाथ टूटे हुए पैरों को छू कर मांग रहे है अपनी खैर क्यों लोग खुद की बेटी मार कर, दूसरों की बेटी पूजना चाहते हैं अजीब है संसार और अजीब है लोग। कश्मीरीगंज से शशांक खन्ना की कहानी 151125651

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आगरा - ब्रज में लापता ‘जातियों का गुरूर’ कहीं विकास के सुबूत से आस तो कहीं चेहरा पैरोकार     नई दिल्ली - RBI ने महाराष्‍ट्र के इस बैंक पर लगा दीं कई पाबंदियां, खातों से एक रुपया भी नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक