Supreme Court: फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (एफएआईवीएम) ने याचिका दायर कर सूक्ष्म लघु उद्यमों को माल खरीदारों को 45 दिनों से अधिक का क्रेडिट देने से वंचित करने वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल ने याचिका दायर कर सूक्ष्म लघु उद्यमों को माल खरीदारों को 45 दिनों से अधिक का क्रेडिट देने से वंचित करने वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में वित्त अधिनियम 2022 में जोड़ी गई धारा 43(बी)(एच) को रद्द करने की मांग की गई है।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस याचिका में कहा गया है यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) (जी) का उल्लंघन है। रवींद्र कुमार गौड़ के माध्यम से दायर फेडरेशन की याचिका में कहा गया है कि वित्त अधिनियम 2022 की नई जोड़ी गई धारा 43(बी)(एच) में सूक्ष्म लघु उद्यमों को अपने माल के खरीदारों को 45 दिनों से अधिक का क्रेडिट देने से वंचित करने का प्रावधान है। इस प्रावधान के तहत, यदि एमएसएमई इकाई खरीदारों को 45 दिनों से अधिक का क्रेडिट देती है तो खरीदार को कर छूट और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिसूचित बैंक दरों के तीन गुना पर चक्रवृद्धि ब्याज के साथ दंडित किया जाता है। यह प्रावधान एक अप्रैल, 2024 से प्रभावी है।
निर्माताओं के बीच वर्गीकरण बनाया
याचिका में यह भी कहा गया कि जोड़ी गई धारा 43(बी)(एच) का प्रभाव है कि भारत सरकार ने उन निर्माताओं के बीच एक वर्गीकरण बनाया है जो खरीदारों को केवल 45 दिनों के लिए ऋण दे सकते हैं। ऐसे निर्माता जो खरीदारों को 45 दिनों से अधिक समय के लिए ऋण दे सकते हैं भी इसमें शामिल हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इससे लघु उद्योगों का व्यवसाय मध्यम स्तर के उद्योगों में स्थानांतरित होने की आशंका है। लघु उद्योग और मध्यम स्तर के उद्योगों के बीच कर भेदभाव से बड़ी संख्या में लघु उद्योग अपनी बाजार हिस्सेदारी खो सकते हैं।