आगरा। पिढौरा बजरंग बली मंदिर पूर्व माध्यमिक विद्यालय गुर्जा शिवलाल रजौरा में भागवत कथावाचक पंडित हरीशंकर शास्त्री ने कहा एक बार राजा परीक्षित शिकार के लिए वन में गए। वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गए व जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुंच गए। वहां पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किए हुए व शांतभाव से एकासन पर बैठे हुये ब्रह्माध्यान में लीन थे। राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा कितु ध्यानमग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया। सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुए कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानस्थ होने का ढोंग कर के मेरा अपमान कर रहा है। उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुये एक मृत सर्प को अपने धनुष की नोक से उठा कर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापिस लौट आए। श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप दिया। कथा का लोगों ने आनंद लिया कथा का समय दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक 20 तारीख तक कथा होगी सभी लोग पहुंच कर भागवत का आनंद ले। विद्या राम 151109133