पहला कारण एक बड़े वर्ग के भीतर हो रही यह अनुभूति है कि मोदी सरकार के दो कार्यकाल में गरीबों के जीवन स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। खाद्य तेल सब्जियों दूध और रसोई गैस आदि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आई तेजी ने आम आदमी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों की क्रय शक्ति घटी है। इससे भाजपा की छवि पर पहले ही आघात हुआ है। आगामी आम चुनाव की नियति हिंदी पट्टी तय करेगी। इस क्षेत्र में लोकसभा की 225 सीटें हैं जो कुल संसदीय सीटों का 40 प्रतिशत हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को इनमें से 190 सीटें मिलीं तो वहीं 2019 के चुनाव में 177 सीटें उसके खाते में गईं। विपक्षी मोर्चा आइएनडीआइए जब तक इस हिंदी पट्टी में भाजपाई प्रभाव में सेंध नहीं लगाता तब तक भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने की संभावनाएं बहुत कमजोर होंगी।