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पी एम किसान स्कीम
  • 151109870 - RAJ KUMAR VERMA 0



नई दिल्ली. देश के करीब 10 करोड़ किसानों के लिए बड़ा सहारा बनी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi scheme) का लाभ प्रवासी मजदूरों (migrants workers) को भी मिल सकता है. बशर्ते वे इसकी शर्तें पूरी कर रहे हों. इसमें खासतौर पर रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम और बालिग होना जरूरी है. अगर किसी का नाम खेती के कागजात में है तो उसके आधार पर वो अलग से लाभ ले सकता है. भले ही वो संयुक्त परिवार का हिस्सा ही क्यों न हो. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘शर्तें पूरी करने वाला मजदूर रजिस्ट्रेशन करवाए, सरकार पैसा देने का तैयार है. मजदूर के नाम पर कहीं खेत होना चाहिए. अब रजिस्ट्रेशन के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं, खुद ही स्कीम की वेबसाइट पर जाकर इसके फार्मर कॉर्नर के जरिए आवेदन किया जा सकता है.’ पीएम किसान में परिवार की परिभाषा किसानों (Farmers) को डायरेक्ट मदद देने वाली पहली स्कीम में परिवार का मतलब है पति-पत्नी और 18 साल से कम उम्र के बच्चे. उसके अलावा अगर किसी का नाम खेती के कागजात में है तो उसके आधार पर वो अलग से लाभ ले सकता है. पीएम किसान सम्मान निधि की अन्य शर्ते खेती की जमीन के कागजात के अलावा पीएम किसान स्कीम का लाभ लेने के लिए बैंक अकाउंट नंबर और आधार नंबर होना जरूरी है. इस डेटा को राज्य सरकार वेरीफाई करती है तब केंद्र सरकार पैसा भेजती है. अभी 10 करोड़ किसानों को भी लाभ नहीं मिल पाया पीएम किसान स्कीम के का बजट 75 हजार करोड़ रुपये का है. मोदी सरकार सालाना 14.5 करोड़ लोगों को पैसा देना चाहती है. लेकिन रजिस्ट्रेशन अभी 10 करोड़ का भी नहीं हुआ है. इसके कुल लाभार्थी सिर्फ 9.65 करोड़ हैं. जबकि स्कीम शुरू हुए 17 माह बीत चुके हैं. ऐसे में अगर शहर से गांव आने वाले लोग इसके तहत रजिस्ट्रेशन करवाते हैं तो उन्हें लाभ मिल सकता है. ज्यादातर प्रवासी खेती का काम करेंगे: किसान संगठन राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद का कहना है कि शहरों से गांव गए ज्यादातर लोग अब कृषि कार्य में जुटेंगे या फिर वे मनरेगा के तहत कहीं काम करेंगे. ऐसे में जिसके पास खेती है वो पहले अपना रजिस्ट्रेशन किसान सम्मान निधि के लिए करवा ले. इसके तहत हर साल 6000 रुपये मिल रहे हैं. किसान संगठन और कृषि वैज्ञानिक लगातार इसे बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं. शहर छोड़कर गांव जा रहे श्रमिकों के लिए बड़ा सहारा हो सकती है यह स्कीम गांवों के हालात सुधारने के लिए बढ़ाया मनरेगा बजट साल 2006 में मनरेगा (mgnrega) शुरू होने के बाद पहली बार इसका बजट 1 लाख रुपये के पार पहुंच गया है. मोदी सरकार ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए इसका बजट बढ़ा दिया है. ताकि गांवों में लोगों को अधिक रोजगार मिल सके. 2020-21 में अब इस पर 1,01,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जबकि पिछले वर्ष इस पर 71 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. हालांकि 2020-21 के बजट में सरकार ने 61,500 करोड़ रुपये का बजट ही घोषित किया था.

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